शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

नोनी

कुछ दिन पहले ही घर में हुआ था रग -रोगन
पूरा घर चमक रहा था चकाचक
आठवर्षीय नोनी खेल रही थी छत पर
अचानक सीढ़िया उतरते वक्त
धुल भरे हाथो से दीवाल पर लगा दी
नन्हे हाथो की छाप ताली बजाकर
वह हस रही थी
सभी उसपर होने लगे क्रोधित
सहमी अपराधी सी वह खड़ी रह गई
कुछ दिन बाद वह चली गई दिल्ली
छत पर आते -जाते निगाह टिक ही जाती हे
उन छोटे -छोटे हटो पर
समूचा परिद्रश्य अखो में उतर आता हे
आज घुटनों के दर्द ने जब कर दिया हे
लचर ,सीढिया चढ़ते -उतरते लगता हे
वह छोटा सा हाथ ही आगे बढकर बुला रहा हे
नही जानती उस अद्रश्य हाथ को थामे केसे में
सीढिया क्र जाती हू पर

2 टिप्पणियाँ:

यहां 26 नवंबर 2011 को 10:38 pm बजे, Blogger v.chaturvedi ने कहा…

jab hote hai hum khali, dekhte hai shunya main .
tabhi ubharati hai yadon ki parchhayin.
dhire dhire parchhayin ban jati hai sajiv aur loat aata hai vahi samay jivant hokar .
agar yaden madhur hai to khil uthata hai man ,
nahi dua karte ki vo kabhi yad na aayen

 
यहां 27 नवंबर 2011 को 5:49 am बजे, Blogger SUBODH CHATURVEDI ने कहा…

bahut khoob kaha

 

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